Monday, March 14, 2011

भारत! हिंदुस्तान! या इंडिया!

भारत !















हिंदुस्तान !












इंडिया !







जैसे-जैसे नाम बदलता गया , वैसे-वैसे हमारा देश भी बदलने से चूका नहीं !



इतने प्यार से मिल-जुल कर खाना खाते बच्चे !









कल ऐसे हो सकते हैं, किसने
सोचा था !






खुद गाँधीजी भी इस सोच में डूबे हैं,

की क्या मैं कल के भविष्य को इस हालत में देखना चाहता था !












शैतान इतना हावी है इस देश पर की बच्चो को भी प्रदर्शन में
बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना पढ़ रहा है !






यह हमारा भारत है ?

जहाँ बच्चो की पढने और खेलने की उम्र है वो ढाई रूपए का झंडा बेचने भर के होकर रह गए हैं !

या

यह हमारा हिंदुस्तान है ?
जहाँ लोगों के पास रहने के लिए बसेरा, खाने के लिए पेट भर खाना, और पहनने के लिए कपडे की

व्यवस्था नहीं है !























नहीं!
यह हमारा इंडिया है !

जिसने भी पहचाना वो देखते ही हसने लगा देश की हालत पर !



जय हिंद !

1 comment:

  1. bahut badhiya mayank, lage raho. good creativity and nice thinking.

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