Monday, January 23, 2012
UP polls: fighting for issues !
Sunday, January 22, 2012
दूभर हालात आंबेडकर ग्राम के !
बीते सालों में विकास न होना बहुत बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है जिससे लोगों में विरोधाभास की भावना नज़र आती है। गाँव की हालत यह है कि सड़क सही बनी नहीं है, नालियों का पानी रोड पर नज़र आता है, लोग जगह-जगह कूड़ा फैंकते हैं, जिससे बदबू उत्पन्न होती है और गन्दगी फैलती है।
गाँव का आलम यह है कि अधिकतर लोग दो धड़ो में बटे हैं, एक प्रधान के साथ, दूसरा उनके विपरीत। बहुत कम लोग ऐसे हैं जो सही बात जानना ऐवम बताना चाहते हैं। हर साल ग्राम प्रधान, सरकार के सामने गाँव कि तस्वीर बदलने के नाम पर बजट पास करवाते हैं, जैसे कि पिछले साल भी हुआ था।
अगर कागज़ी कार्यवाही को नजरअंदाज किया जाये तो यह कहना बेईमानी होगी कि बजट के सत्प्रतिशत रुपे का सही इस्तमाल हुआ है।
गाँव में ज्यादा समस्या सीवर की है और हालात देख लगता नहीं कि इस साल भी इस समस्या का हल हो पायेगा और लोग इससे निजाद पाएंगे। गाँव में साल भर पहले ही सड़क बनी थी लेकिन लोगों ने पानी का प्रेसर बढाने के लिए अवैध खुदाई कर सड़क पर गड्डे उत्पन्न किये जिसका खामियाजा उन्हें ही भुगतना पड़ रहा है और आज उनका चलना भी दुबार हो चूका है।
अगर हम यहाँ के स्वास्थ्य सेवा के बारे में बात न ही करें तो ज्यादा बेहतर होगा क्यूंकि लोगों के अनुसार यहाँ पर स्वास्थ्य सेवा के नाम पर झोला छाप डॉ ही नज़र आते हैं। कभी उनकी दवाओं से मर्ज ठीक हो जाता है तो कभी ऐसे भी हालात हो जाते हैं कि जान के लाले पड़ जाते हैं। यह स्थिति देखने के बाद यहाँ कि स्वास्थ्य सेवाएं भगवन भरोसे नज़र आती हैं।
गाँव में पंडित और गुर्जर लोगों कि ज्यादा तादाद है जिसके फलस्वरूप अनुसूचित जाति के लोगों की अपेक्षा होती है जिसके कारण यहाँ का माहौल गरमाया रहता है। आज यह स्तिथि नज़र आती है की वाल्मीकि जाति के लोगों के पास कोई भी और कैसी भी सुविधा नहीं है और न ही कोई राह दिखने वाला है। लोगों की समझ और जागरूकता के आभाव के कारण वह प्रधान से बात करने से हिचकिचाते हैं और यह डर सताता है की बात-बात में लड़ाई न कर बैठें।
गणतंत्र के इतने साल बाद भी नई पीढ़ी की वही सोच और गाँव के परिवेश में जूझते लोगों को देख कोई भी शर्मसार हो सकता है। एक तरफ तो हम भारत के विकास का दम भरते नज़र आते हैं, दूसरी तरफ भारत में ऐसे गाँव की कमी नहीं है जहाँ लोगों को बुनियादी सुख-सुविधा के नाम पर खालीपन या खोखलापन नज़र आता है। स्तिथि देखने के बाद कोई भी यह मानने को तैयार न होगा की भारत का दिल गाँव में बसता है।
Wednesday, January 18, 2012
स्वच्छता, सुंदरता का जिम्मेदार कौन !
10 eghus igys U;w v”kksd uxj esVªks LVs”ku ds uhps cuh xzhu csYV uks,Mk dh lhek ij lekIr gksrh gSA djhc 500 eh- es QSyh gqbZ ;g csYV vkt viuk vfLFkRo [kksrs gq, utj vkrh gSA fnYyh iz”kklu us 10 eghus igys LoPNrk vkSj laqnjrk ds uke ij ikS/ks rks yxok fn, exj iz”kklu Hkwy x;k fd ns[k&Hkky dh ftEesnkjh Hkh mUgh dh gSA xzhu csYV ns[k dj ;g le> vkrk gS fd iz”kklu ds ikl u rks i;kZIr yksx gSa vkSj u gh e”khujh ftldh otg ls csYV vkt ohjku utj vkrh gSA
lQkbZ deZpkfj;ksa ds vuqlkj og izfrfnu lQkbZ djus vkrs gSa exj ogka ds ckf”kans dk dguk gS fd Ms<+ eghus ckn lQkbZ gks jgh gS og Hkh bl otg ls fd fdlh cMs+ vQlj dk vkxeu gSA vkt gkykr ;g gSa fd ckfj”k gks tk, rks flapkbZ gks tkrh gS] xk; ?kql tk, rks iRrs [kkrs [kkrs ogha lks tkrh gSA
LoPNrk vkSj laqnjrk laokjus ds fy, vdsyk iz”kklu ftEesnkj ugha cfYd bles xyrh ge yksxksa dh Hkh gS] tks lnhZ esa ikS/ks ij [kMs+ gksdj /kwi lsdrk gS] dwM+k Qsdrs gSa vkSj jkLrk ikj djus dk tfj;k cukrs gSa blds lkFk esa yksx viuh BaM dks de djus ds fy, blds vkl&ikl yxh ydfM+;ksa dks pqjk dj vyko tykus ds dke esa ykrs gSaA
gesa LoPNrk ,oa laqnjrk dk egRo le>rs gq, i;kZoj.k dh j{kk djus ds fy, iz”kklu ds lkFk fey dj dke djuk pkfg,A